प्रकाश मेहरा
(13 जुलाई 1939 - 17 मई 09)
प्रकाश मेहरा वो नाम है, जिसने न सिर्फ अपना मुकद्दर लिखा, बल्कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की तकदीर भी बदल गए। सही मायने में उन्हें 'मुकद्दर का सिकंदर' कहा जाएगा। आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा रहेंगी। जब भी लोग उनकी फिल्मों को देखेंगे, बरबस ही उनकी यादें ताजा हो जाएंगी। दर्शकों के अलावा फिल्म इंडस्ट्री भी उन्हें कभी नहीं भुला सकती है, खासकर वे लोग, जो उनके करीब रहे हैं और उनसे मिलते रहे हैं। प्रकाश मेहरा पहले ऐसे बॉलीवुड निर्देशक थे, जो हॉलीवुड के साथ एक फिल्म 'द गॉड कनेक्शन' बनाना चाहते थे। सभी तैयारियों के बाद भी वे बजट के आगे हार गए और उनका सपना पूरा नहीं हो सका। जिंदगी को अपने अलग दर्शन के जीने वाले प्रकाश मेहरा हर दिल अजीज थे। इंडस्ट्री के कुछ निर्देशकों से बात की:
प्रकाश जी का कथानक बहुत उम्दा होता था। उनकी फिल्मों के डायलॉग, कहानी और संगीत सभी कुछ अच्छा रहता था। हम उनका बहुत लिहाज करते थे। मिलने पर बड़े अदब से उन्हें नमस्कार किया करते थे और वे उसी बड़प्पन से उसका जवाब देते। सबसे बड़ी बात यह रही कि वे किसी के मोहताज नहीं थे, हालांकि इंडस्ट्री का जैसा नियम है कि एक बार इंसान फिल्में बनाना बंद कर दे, तो उसे भुला दिया जाता है, आखिरी दिनों में ऐसा ही कुछ प्रकाश जी के साथ भी हुआ। वे हमारे बड़े थे। उन्होंने और उन जैसे बड़े लोगों ने जो कुआं खोदा था, हम आज उसी का पानी पी रहे हैं।
- महेश भट्ट, निर्माता-निर्देशक
मैं उन्हें एक महान निर्देशक के तौर पर जानता था, लेकिन बहुत ज्यादा जान-पहचान कभी नहीं रही। हां, जब भी वे मिल जाते थे, हाय-हैलो हो जाया करती थी। वे बहुत ही अच्छे इंसान थे, जहां तक मैंने महसूस किया।
- श्याम बेनेगल, निर्देशक
अफसोस हो रहा है कि जिस इंसान ने जिंदगी को इतना प्यार किया, वही उनका साथ छोड़ गई। वे सदाबहार इंसान थे। मेरी उनसे तीन-चार मुलाकात हुई। एक बार उनके घर भी गया हूं। वे जितने अच्छे शख्स थे, उतने ही प्रोफेशनल भी। वे डाउन टु अर्थ थे, इसीलिए उनका दिल बहुत साफ था।
- बी. आर. इशारा, निर्माता-निर्देशक
मेरे पिता के समान थे वो। पिता जी और उनका रिश्ता बहुत गहरा था। पिता जी को सही ऊंचाई उन्होंने ही दी थी। जब से उन्होंने पिता जी के साथ काम किया था, फिर किसी के साथ काम नहीं किया। मैं छोटा था, जब पिता जी के साथ उनसे मिलने जाता था। मुझे लगता है, वे बहुत बड़े फिलोस्फर थे। जिंदगी को बहुत करीब से देखा है उन्होंने। उनकी हर फिल्म में कहीं न कहीं उन्हीं का किरदार होता था। पिता जी की मौत पर बहुत रोए थे। बोले थे, 'अंजान तुम मुझे अकेला छोड़ गए।' एक बार पिता जी बीमार हुए, तो उनकी फिल्म के एक गीत का अंतरा मैंने लिखा था।
- समीर, गीतकार
उनकी फिल्में कमर्शियल थीं, फिर भी उनमें एक मेसेज होता था। वे हटकर काम करते थे। मैं अपनी फिल्म 'चांदनी बार' के ट्रायल के बाद उनसे मिला, तो बोले, 'मधुर तुमने इतनी अच्छी फिल्म बनाई है कि मेरी आंखों में आंसू आ गए। बेटा, तुम हमेशा इसी तरह की फिल्में बनाना। कभी कमर्शियल मत होना। बहुत आगे जाओगे।' मेरी लिए ये बहुत बड़ा कंप्लीमेंट था। उनसे मेरी आखिरी मुलाकात तब हुई थी, जब मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। तब मैंने उनके पैर छुए, तो वे फिर बोले, 'मैंने कहा था न कि तू बहुत आगे जाएगा। देखा, तुझे तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।'
मधुर भंडारकर, निर्देशक
Tuesday, 19 May 2009
Sunday, 17 May 2009
Monday, 20 April 2009
सोनू सूद की 'चाशनी'
बच्चन परिवार के साथ सोनू का रिश्ता बहुत पुराना है। पहले उन्होंने अभिषेक बच्चन के साथ 'युवा' में काम किया, फिर 'जोधा अकबर' में ऐश्वर्या के भाई बने और अगर सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही वे जया बच्चन के बेटे के रोल में दिखाई देंगे। यह परिवार उन्हें बहुत मानता है और सोनू के लिए लकी भी है, क्योंकि अभिषेक और ऐश के साथ जो फिल्में की हैं, वे उनके लिए सफल रहीं।सोनू के करीबी दोस्तों का कहना है, 'रेवती वर्मा की फिल्म 'चाशनी' के लिए सोनू का नाम लिया जा रहा है। फिल्म की स्क्रिप्ट सोनू के पास आई थी और वे उसमें कुछ करक्शन चाहते हैं। इस फिल्म को एबीसीएल प्रोड्यूस कर रहा है। अगर फाइनल हो गया, तो सोनू जया जी से बेटे का किरदार निभाएंगे।' हम भी चाहते हैं कि ऐसा ही हो। सोनू की एक और फिल्म 'अरुंधती' जल्द शुरू होने वाली है। पहले यह साउथ में बन चुकी है और खूब बिजनेस भी किया है। अब इसे हिंदी में बनाया जा रहा है। फीमेल लीड की तलाश जारी है। सुना है, इस रोल के लिए अनुष्का शर्मा को लिया जाना था, लेकिन वे यशराज बैनर के साथ कॉन्ट्रेक्ट में हैं, इसलिए बाहर की फिल्म नहीं कर सकतीं। सच क्या है, अनुष्का जानें, लेकिन अब इस रोल के लिए किसी नए चेहरे की तलाश की जा रही है। इसके बाद सोनू कंगना राणावत के साथ एक ऐक्शन फिल्म में भी काम कर रहे हैं, यह प्रोफेशनल किलर की कहानी है, जो एक हॉलीवुड फिल्म से इंस्पायर्ड है।
Friday, 17 April 2009
कमल के वि'ज्ञानÓ का खराब प्रयोग
रेटिंग: *
निर्देशक: के. एस. रविकुमार
कलाकार: कमल हासन, असिन, मल्लिका शेरावत और जयाप्रदा
जिस तरह खराब फलों को बेंचने के लिए ऊपर कुछ अच्छे फल रख दिए जाते हैं, ठीक यही 'दशावतारÓ का भी हाल है। शुरुआत इतनी अच्छी है कि मन में जिज्ञासा पैदा होती है, लेकिन 10-15 मिनिट के बाद फिल्म उबाना शुरू करती है और यह सिलसिला फिल्म के अंत तक चलता है। कमल हासन ने खुद फिल्म की कहानी लिखी है पर स्क्रिप्ट इतनी लंबी और कमजोर है कि आखिर तक देखना मुश्किल होता है। इसे तमिल से हिंदी में डब किया गया है।
फिल्म का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है। कमल ने धर्म और विज्ञान को एक साथ जोडऩे की कोशिश की है। जब विज्ञान कुछ गलत प्रयोग करता है, तो ईश्वर उसे सुधारने लगता है। इंसानी पाप को प्रकृति धो देती है, फिर वह सुनामी की शक्ल में ही क्यों न हो। शुरुआत से अंत को जोडऩे और फिल्म के नाम को बताने के लिए कमल ने दस किरदार रचे, सभी किरदार उन्होंने खुद ही निभाए हैं। गैरजरूरी किरदारों की भीड़ ने फिल्म की रोचकता खत्म कर दी है। फिल्म में हिंसात्मक सीन इतने खतरनाक हैं कि एक पल को सोचने पर मजबूर होना पड़ता है।
कमल हासन एक वैज्ञानिक हैं, जो एक सभा में अपने अनुभव की कहानी सुनाते हैं। वैज्ञानिक होकर भी उन्हें जिंदगी में ईश्वरीय शक्ति का ज्ञान होता है, जिसे वे सभी को बताते हैं। किस तरह विदेशी में वे जैविक हथियार का निर्माण करते हैं, फिर कुछ लोग उसे चुराने की कोशिश करते हैं। वे उनसे बचकर भारत आते हैं, लेकिन वे कलम हासन के पीछे यहां भी आ जाते हैं। इसी जैविक हथियार को बचाने के चक्कर में कमल को किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। कितने तरह के लोगों से मिलना होता है। बाद में सभी कडिय़ां आपस में जुड़ जाती हैं।
फिल्म की शुरुआत धार्मिक कहानी मालूम होती है, लेकिन बाद में विज्ञान की तरफ रुख हो जाता है। आखिर तक पहुंचते- पहुंचते न धार्मिक कहानी रह जाती है, न विज्ञान पर आधारित।
कमल ने कुछ किरदारों बहुत अच्छा अभिनय किया है, लेकिन कई किरदारों में बनावटी लगते हैं। दरअसल, इतने सारे किरदारों को निभाना भी अपने आप में एक चुनौती है, जो खुद कमल ने अपने लिए पैदा की है। असिन का काम अच्छा है, लेकिन 'गजिनीÓ के मुकाबले में कमजोर ऐक्टिंग दिखाई देती है। मल्लिका शेरावत से जबर्दस्ती अभिनय कराया गया है। उनके रोल की भी कोई जरूरत भी नहीं थी।
कैमरे का कमाल और एडिटिंग दर्शकों को बांधने में कुछ मदद करती है। विजुअल इफेक्ट्स भी अच्छे हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक दृश्यों को मजबूती देता है, लेकिन फिल्म के गीतों और संगीत में दम नहीं है।
रवि रावत
निर्देशक: के. एस. रविकुमार
कलाकार: कमल हासन, असिन, मल्लिका शेरावत और जयाप्रदा
जिस तरह खराब फलों को बेंचने के लिए ऊपर कुछ अच्छे फल रख दिए जाते हैं, ठीक यही 'दशावतारÓ का भी हाल है। शुरुआत इतनी अच्छी है कि मन में जिज्ञासा पैदा होती है, लेकिन 10-15 मिनिट के बाद फिल्म उबाना शुरू करती है और यह सिलसिला फिल्म के अंत तक चलता है। कमल हासन ने खुद फिल्म की कहानी लिखी है पर स्क्रिप्ट इतनी लंबी और कमजोर है कि आखिर तक देखना मुश्किल होता है। इसे तमिल से हिंदी में डब किया गया है।
फिल्म का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है। कमल ने धर्म और विज्ञान को एक साथ जोडऩे की कोशिश की है। जब विज्ञान कुछ गलत प्रयोग करता है, तो ईश्वर उसे सुधारने लगता है। इंसानी पाप को प्रकृति धो देती है, फिर वह सुनामी की शक्ल में ही क्यों न हो। शुरुआत से अंत को जोडऩे और फिल्म के नाम को बताने के लिए कमल ने दस किरदार रचे, सभी किरदार उन्होंने खुद ही निभाए हैं। गैरजरूरी किरदारों की भीड़ ने फिल्म की रोचकता खत्म कर दी है। फिल्म में हिंसात्मक सीन इतने खतरनाक हैं कि एक पल को सोचने पर मजबूर होना पड़ता है।
कमल हासन एक वैज्ञानिक हैं, जो एक सभा में अपने अनुभव की कहानी सुनाते हैं। वैज्ञानिक होकर भी उन्हें जिंदगी में ईश्वरीय शक्ति का ज्ञान होता है, जिसे वे सभी को बताते हैं। किस तरह विदेशी में वे जैविक हथियार का निर्माण करते हैं, फिर कुछ लोग उसे चुराने की कोशिश करते हैं। वे उनसे बचकर भारत आते हैं, लेकिन वे कलम हासन के पीछे यहां भी आ जाते हैं। इसी जैविक हथियार को बचाने के चक्कर में कमल को किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। कितने तरह के लोगों से मिलना होता है। बाद में सभी कडिय़ां आपस में जुड़ जाती हैं।
फिल्म की शुरुआत धार्मिक कहानी मालूम होती है, लेकिन बाद में विज्ञान की तरफ रुख हो जाता है। आखिर तक पहुंचते- पहुंचते न धार्मिक कहानी रह जाती है, न विज्ञान पर आधारित।
कमल ने कुछ किरदारों बहुत अच्छा अभिनय किया है, लेकिन कई किरदारों में बनावटी लगते हैं। दरअसल, इतने सारे किरदारों को निभाना भी अपने आप में एक चुनौती है, जो खुद कमल ने अपने लिए पैदा की है। असिन का काम अच्छा है, लेकिन 'गजिनीÓ के मुकाबले में कमजोर ऐक्टिंग दिखाई देती है। मल्लिका शेरावत से जबर्दस्ती अभिनय कराया गया है। उनके रोल की भी कोई जरूरत भी नहीं थी।
कैमरे का कमाल और एडिटिंग दर्शकों को बांधने में कुछ मदद करती है। विजुअल इफेक्ट्स भी अच्छे हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक दृश्यों को मजबूती देता है, लेकिन फिल्म के गीतों और संगीत में दम नहीं है।
रवि रावत
Friday, 10 April 2009
नंदना का मिसमैच
हम नंदना सेन के किसी ब्वॉयफ्रेंड की बात नहीं कर रहे हैं। हम उनकी अगली फिल्म के बारे में बता रहे हैं, जिसका नाम 'इट्स अ मिसमैचÓ है। फिल्म में बोमन ईरानी और अनुपम खेर भी हैं। यह एक कॉमेडी फिल्म है। दरअसल, बोमन और अनुपम के विचार बिलकुल अलग हैं। फिल्म का हीरा अनुपम का भतीजा है, जिसे नंदना पसंद करती है पर दोनों का मिल पाना मुश्किल है। नंदना की एक और फिल्म 'रंगरसियाÓ आने वाली है। यह फिल्म प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा की जिंदगी पर आधारित है। फिल्म में राजा रवि वर्मा का रोल रणदीप हूडा निभा रहे हैं। हम आपको बता दें कि रणदीप की हाल में रिलीज पिछली सभी फिल्में फ्लॉप हो चुकी हैं, अब उन्हें 'रंगरसियाÓ से बहुत उम्मीदें हैं। नंदना भी फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।
Sunday, 29 March 2009
MEHUL KUMAR launch original blockbuster KRANTIVEER’s sequel
Mumbai, 27th of March, 2009: White City Entertainment Pvt Ltd and Mehul Kumar launched their prestigious film KRANTIVEER- THE Revolution, the sequel to the Mega-blockbuster Krantiveer of 1994 at a glittering event held at J. W. Marriot on 27th March, 2009. Shri Amitabh Bachchan, who has worked with Mehul Kumar lighted the auspicious diya along with Mehul Kumar and Shekar Shetty of White City Entertainment Pvt. Ltd. While the gorgeous Dimple gave the Mahurat shot, Nana Patekar gave the mahurat clap, as Mehul Kumar’s daughter the beautiful JAHAN BLOCH and SAMIR AFTAB made their entry.
Nana Patekar and Dimple Kapadia the leading stars of the original Blockbuster Krantiveer gave the Muhurat Clap at the glittering event. Entire starcast was there to celebrate the launch of Krantiveer - The Revolution - Jahan Bloch, Samir Aftab, Kelly Dorji, Ranjit, Farida Jalal, Govind Namdeo, Mukesh Rishi, Aman Verma, Ashok Samarth, Aditya Singh Rajput and Harsh Rajput alongwith Director Mehul Kumar.
With this film, WHITE CITY ENTERTAINMENT marks its entry in Hindi Cinema with an established name as Mehul Kumar. And they plan to produce atleast three Hindi films every year which would range from medium to mega budget films. The original Krantiveer which was released in the year 1994 was not only a mega blockbuster but also a winner of the many awards like Three Star Screen Awards, Four Filmfare Awards and one National Film Award. Along present to light the diya alongwith Mr. Bachchan were Shri J.P DANGE, DEPUTY CHIEF SECRETARY, REVENUE & FOREST, GOVT OF MAHARASHTRA, and Shri JAYANT GAIKWAD SECRETARY FOR CULTURE & TOURISM, Govt. of MAHARASHTRA. Also making her entry in bollywood is the young and talented artiste JAHAN BLOCH. Jahan plays daughter of the fiery Nana Patekar in the original KRANTIVEER. Taking the story forward, Jahan plays a fiery journalist who is set to lead the revolution against terrorism, violence and corruption.. Joining her in this battle is Sameer Aftab, who plays the lead opposite her. Jahan Bloch is making her bollywood debut with this movie.
Mehul Kumar the director of Krantiveer speaking on the launch said, “It’s really the most memorable moment in my life, since out of the entire movie which I have directed krantveer has always been close to my heart. And the joyous feeling of directing the sequel of the movie is something which is very hard for me to express in word. And also my daughter Jahan making a debut with this movie is also the icing on the cake. What more can I ask, from God?
Krantiveer was a film directed by Mehul Kumar, released on July 22, 1994. The film starred artists as Nana Patekar, Dimple Kapadia, Atul Agnihotri, Mamta Kulkarni, Danny Denzongpa and Paresh Rawal in lead roles. The film was a major critical and commercial success; it became the third highest grossing film of the year, additionally winning three Star Screen Awards, four Filmfare Awards and one National Film Award.
Nana Patekar and Dimple Kapadia the leading stars of the original Blockbuster Krantiveer gave the Muhurat Clap at the glittering event. Entire starcast was there to celebrate the launch of Krantiveer - The Revolution - Jahan Bloch, Samir Aftab, Kelly Dorji, Ranjit, Farida Jalal, Govind Namdeo, Mukesh Rishi, Aman Verma, Ashok Samarth, Aditya Singh Rajput and Harsh Rajput alongwith Director Mehul Kumar.
With this film, WHITE CITY ENTERTAINMENT marks its entry in Hindi Cinema with an established name as Mehul Kumar. And they plan to produce atleast three Hindi films every year which would range from medium to mega budget films. The original Krantiveer which was released in the year 1994 was not only a mega blockbuster but also a winner of the many awards like Three Star Screen Awards, Four Filmfare Awards and one National Film Award. Along present to light the diya alongwith Mr. Bachchan were Shri J.P DANGE, DEPUTY CHIEF SECRETARY, REVENUE & FOREST, GOVT OF MAHARASHTRA, and Shri JAYANT GAIKWAD SECRETARY FOR CULTURE & TOURISM, Govt. of MAHARASHTRA. Also making her entry in bollywood is the young and talented artiste JAHAN BLOCH. Jahan plays daughter of the fiery Nana Patekar in the original KRANTIVEER. Taking the story forward, Jahan plays a fiery journalist who is set to lead the revolution against terrorism, violence and corruption.. Joining her in this battle is Sameer Aftab, who plays the lead opposite her. Jahan Bloch is making her bollywood debut with this movie.
Mehul Kumar the director of Krantiveer speaking on the launch said, “It’s really the most memorable moment in my life, since out of the entire movie which I have directed krantveer has always been close to my heart. And the joyous feeling of directing the sequel of the movie is something which is very hard for me to express in word. And also my daughter Jahan making a debut with this movie is also the icing on the cake. What more can I ask, from God?
Krantiveer was a film directed by Mehul Kumar, released on July 22, 1994. The film starred artists as Nana Patekar, Dimple Kapadia, Atul Agnihotri, Mamta Kulkarni, Danny Denzongpa and Paresh Rawal in lead roles. The film was a major critical and commercial success; it became the third highest grossing film of the year, additionally winning three Star Screen Awards, four Filmfare Awards and one National Film Award.
Monday, 2 June 2008
आप पढ़ रहे हैं सिने चौपाटी
इस ब्लॉग से हम आपको फिल्मी दुनिया की जानकारी देंगे. हर हफ्ते रिलीज फिल्म्स की समीक्षा, सितारों की बातें, सिनेमा के कुछ अनछुए पहलुओं के अलावा और भी बहुत कुछ बताएंगे हम आपको. तो पढ़ते रहिए सिने चौपाटी...
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